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Monday 29 January 2024

लक्ष्यदीप भारत का हिस्सा कैसे बना


देख कर देख कर मन मन प्रसन्न हो गया लक्ष्य की सुंदरता को शब्दों में समय का बहुत मुश्किल है। 



पर एक बार फिर से स्वागत है। प्रजापति न्यूज़ में दोस्तों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्ष्यदीप वाली तस्वीर तो आपने देखी होगी। जाओ। एक से बढ़कर एक एडवेंचर कर रहे हैं और तबीयत को लेकर लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है। लोग इस छोटे से आयरलैंड के बारे में जानने के लिए बेताब है। पर बहुत ही कम लोग यह बात जानते हैं कि जिस लक्ष्य दीप को लेकर इतनी बातें हो रही है वहां पहुंचने में अगर भारतीय नेवी आधा घंटा भी लेट हो जाती तो आज यह हमारे हाथ से निकल जाता है। अब हम ऐसा क्यों कह रहे हैं और लक्ष्यदीप कैसे हमारे लिए महत्वपूर्ण है 


दोस्तों सबसे पहले बात करते हैं जो ग्राफी की भारत दो से 440 किलोमीटर दूर अरब सागर 440 किलोमीटर दूर अरब सागर में द्वीपों का एग्जाम है और इन्हीं सब को लक्ष्यद्वीप का जाता है। हालांकि इनका हमेशा से यह नाम नहीं था। पहले ही ने के नाम से जाना जा। लक्ष्यदीप कुछ करना मिला 1973 में 200 


लक्ष्यदीप शब्द संस्कृत के शब्द रूप से आया है जिसका मतलब होता है। हजार डाकू हालांकि वर्तमान में पर पहले इनकी संख्या 36 थी फिर समुद्र में फिर समुद्र में एक टापू डूब गया। लक्ष्यदीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है जिसकी राजधानी का नाम है का वर्दी दोस्तों लक्ष्यदीप के भूगोल के बारे में तो आप समझ गए आप जरा इस के इतिहास के बारे में जान लेते 


हैं क्योंकि लक्षदीप आईलैंड का सबसे पुराना क्रिकेट क्रिकेट एक्स प्लस ऑफर मिलता है। मिलता है कि पांचवी सदी आते-आते बौद्ध धर्म लक्ष्यदीप तक पहुंच गया। बहुत जातक कथाओं में भी लक्ष्य दीप के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि बौद्ध भिक्षु संघ मित्र यहां आए थे। इसके अलावा संगम काल में चेहरा 


साम्राज्य नील आईलैंड पर राजकीय चेहरा साम्राज्य के राजा चेअरमन थी यानी कि यहां कुछ बसाहट शुरू हो गई थी। पर लोग बसना शुरू हुए। बाद में या इस्लाम धर्म का आगमन हो गया। दोस्तों माना जाता है। इस्लाम धर्म की शुरुआत के करीब तीन दशक बाद ओबेदुल्ला नाम के संत इस्लाम को लक्ष्यदीप लेकर आएं। 


अब्दुल्ला मदीना में पैदा हुए थे और इस्लाम के पहले खलीफा अबू बकर के रिश्तेदार थे। इन्हीं अब्दुल्ला के एक बेटे हुए अब इनके द्वारा लिखी गई किताब में लक्ष्यदीप में इस्लाम के आगमन का जिक्र किया गया। इतना ही लक्ष्य दीप के अंदर एंड र नाम की जगह पर अवैध। जिला की खबर आज भी है लेकिन फिर समय का पहिया चलता रहा और 11वीं सदी में लक्ष्यदीप पर चोल साम्राज्य का शासन 


हो गया और वे इसे अपनी समुद्री पोत के तौर पर इस्तेमाल करने लगे। 1498 वास्कोडिगामा भारत आया। 77 पुर्तगालियों ने गोवा दमन द्वीप पर कब्जा किया और साथ ही लक्ष्य दीप को भी अपनी कॉलोनी का हिस्सा बना लिया। लक्ष्यदीप के आजादी और मिनी को टापू पर पुर्तगालियों ने कुछ करें और चर्च बनाए। हालांकि या रहने 



वाली मुस्लिम आबादी में पुर्तगालियों का विरोध किया। इसके बाद 1540 में पुर्तगालियों ने लक्ष्यदीप छोड़ दिया। कुछ सालों तक इसी तरह चलता रहा। फिर 1777 में लक्ष्यदीप मैसूर का टीपू सुल्तान के अधीन हो गया। लेकिन फिर जब तीसरे एंग्लो मैसूर युद्ध में टीपू की हार हुई लक्ष्यदीप का प्रशासन अंग्रेजों के हाथ चला गया तो ने लक्ष्यदीप के कुछ द्वीप केरल में सुल्तान को लीज पर दे दी। बदले में 


अंग्रेजों को यहां से टैक्स मिलता था। आगे चलकर जब सुल्तान टैक्स नहीं चुका पाए उन्होंने लक्ष्यदीप। औरतें मद्रास प्रेसिडेंसी से जुड़कर मालाबार का हिस्सा बना लिया और वही संग्रह इसका प्रशासन संभालने लगे। लेकिन फिर जब 947 में अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो भारत बिखर चुका था जिसे करने की जिम्मेदारी 


सरदार पटेल के कंधों पर थी। जब 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले गए। बंटवारे में लक्षदीप का सवाल ही नहीं आता था क्योंकि यह पहले से ही मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा था, लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना ने पहले से ही लक्ष्य दीप पर अपनी नजर टिकाए। मध्य नक्शा मध्य नक्शा मध्य नक्शा मध्य काल से ही लक्ष्य दीप हिंद महासागर की अहम हिस्सा बन चुका था। ओरिया से हिंद 


महासागर और अरब सागर दोनों पर नजर रखी जा सकती थी। इसलिए मिलिट्री और बिजनेस दोनों के नजरिए से यह एक बहुत महत्वपूर्ण जगह थी। इसके अलावा लक्ष्यदीप में रहने वाले ज्यादातर लोग इस्लाम धर्म से जुड़े हुए थे। इस नाते भी मोहम्मद अली जिन्ना से पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहता था। ऐसे में 15 अगस्त के बाद पाकिस्तान में कब से के इरादे से अरेबियन सागर में एक ब्रिगेड 


लक्ष्यदीप के लिए रवाना कर दूसरी तरफ भारत के सामने 550 से ज्यादा रियासतों का सवाल था। लक्ष्यदीप काफी नीचे आता था, लेकिन सरदार पटेल चौक अन्य थे। तभी तो पाकिस्तान से पहले ही उन्होंने सेना को लक्षदीप का टारगेट दिया था। पाकिस्तानी फौज जब लक्ष्य दी पहुंची तो देखा वहां पहले से ही तिरंगा लहरा रहा है। कई जगह तो यह भी कहा जाता है कि पाकिस्तान को 


पहुंचने में महज आधे घंटे की देर हुई होती तो लक्ष्यदीप लूंगा, लेकिन सरदार पटेल को पहले से पता था कि क्या करना है इसलिए आज ही सुंदर और महत्वपूर्ण जगह भारत के नाम है। दोस्तों जब साल 1956 में केंद्र सरकार ने राज्यों का पुनर्गठन किया तो 14 राज। प्रदेश प्रदेश बनाएं बनाएं और प्रदेश बनाएं और उन्हीं शासित प्रदेशों में एक लक्ष्य दीप भी है साल 1964 में एक कावर्ती को लक्ष्यदीप का हेड क्वार्टर घोषित कर दिया गया। जय हिसाब से उसकी राजधानी और तब से प्रशासन का काम यहीं से होता है। दोस्तों यह सब जानने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि लक्ष्यदीप भारत के लिए पता तो बता दे लक्ष्यदीप।

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