https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1234567890123456content='ca-pub-3462972881553934' name='google-adsense-account'/> मरने से पहले दिमाग क्या सोचता है - Online Paise Kaise Kamaye

Monday 29 January 2024

मरने से पहले दिमाग क्या सोचता है

दोस्तों जब से हमारा जन्म हुआ है हमारा दिमाग उस से लगातार काम करता जा रहा है। सोते समय हमारा शरीर फिर भी आराम कर लेता है। लेकिन हमारा दिमाग कभी भी आराम नहीं करता। उस समय भी वह अपना काम करता रहता है। इसी वजह से तो हमें सपने आते हैं। हम आपके पास बहुत सारे काम होते हैं। जैसे 

मरने से पहले दिमाग क्या सोचता है


की सूचना संख्याओं को याद रखना लिखने के लिए एक शब्द देना यह सारी चीजें करना और इन सभी कामों को ठीक ढंग से करने के लिए हमारे दिमाग का फिर होना बहुत जरूरी है। ऐसे में हमारा दिमाग किस तरह से काम करता है और जब हम इंसानों की मौत होती है तो दिमाग में क्या चल रहा होता है 



दोस्तों दिमाग को लेकर कई सारी रिसर्च की गई। लेकिन मरने से पहले हमारा दिमाग क्या सोचता है। इसके बारे में बहुत कम ही जानकारी मौजूद है जिसकी वजह से यह सवाल एक राज बना हुआ है। हालांकि कुछ समय पहले वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसा अध्ययन किया है मौत की तंत्रिका। बारे में दिलचस्प जानकारियां मिली 200 अध्ययन बर्लिन की चैरिटी यूनिवर्सिटी और ओहायो की सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों 


द्वारा किया गया जिसके लिए वैज्ञानिकों ने कुछ मरीजों की तंत्रिका तंत्र की तारीख़ निगरानी की। हालत इस काम के लिए वैज्ञानिकों ने मरीजों के परिवार वालों से पहले अनुमति ले ली थी ताकि कोई गड़बड़ी ना हो और जिन लोगों के ऊपर से अधिक लोग या तो भीषण सड़क हादसों में घायल हुए थे या फिर स्ट्रोक और गाड़ी दर्द का शिकार हुए थे। इस दिन में वैज्ञानिकों ने पाया कि पशु और मनुष्य दोनों के दिमाग मौत के समय 


एक ही तरीके से काम करते हैं। साथी कैसा हुआ तभी आता है जब दिमाग के कामकाज की आभासी रूप से बाहर भी हो सकती है इस अध्ययन का मकसद न सिर्फ मरते हुए इंसान के दिमाग की जांच करना था बल्कि यह समझना था कि आखिर मरते हुए इंसान को कैसे बचा जा सकता है क्योंकि आपने कई बार सुना होगा कि हमारे शरीर में जो कुछ भी हो रहा है उसको मास्टरमाइंड कोई बल्कि हमारा दिमाग ही है। जो अगर काम करना बंद कर दे तो शरीर भी किसी काम का नहीं रहेगा। ऐसे में 


अगर कोई इंसान मर रहा होता है तो उसके दिमाग में कोई ना कोई ऐसी चीज तो जरूर होती है जो उसके शरीर के काम करने के तरीके को रोक देती है और इसी चीज के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया था। ऐसे इन वैज्ञानिकों के शोध से पहले भी प्रिंट के बारे में हमें मालूम था कि इसके बारे में ज्यादातर जानकारियां हमें पशुओं के ऊपर किए गए अध्ययन से मिली है जहां। तो हमारे तो हमारे तो हमारे शरीर शरीर में खून का प्रवाह रुक जाता है जिस वजह से दिमाग में 



ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और फिर से लिबरल नाम की स्थिति हो जाती है जिससे दिमाग में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज पूरी तरह से खत्म हो जाती है। यानी हमारे दिमाग के काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है और तीसरी अहम चीज यह है कि ऐसा माना जाता है कि दिमाग शांत होने की प्रक्रिया इसलिए अमल में आती है क्योंकि दिमाग में मौजूद हूं के न्यूरो अपनी ऊर्जा संरक्षित कर लेते हैं, लेकिन उनका ऊर्जा संरक्षण करना किसी काम का नहीं होता क्योंकि मौत आने वाली होगी तो रोक नहीं 



सकते जाती। चीज यह पता चलती है कि सभी अहम आयन दिमाग की कोशिकाओं को छोड़कर अलग हो जाते हैं, जिससे एडिनोसिन त्रिफास्फेट की आपूर्ति कमजोर पड़ जाती है। बजट जारी करता है ना जो पूरे शरीर में उर्जा कुछ दूर करता है और उसे एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाता है और जब यह सब कुछ होता है तो टिशू की रिकवरी नमकीन हो जाती है लेकिन वैज्ञानिक। इस प्रक्रिया इस प्रक्रिया को इस प्रक्रिया को और गहराई से समझना चाहती थी इसलिए उन्होंने कुछ मरीजों के दिमागी न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों की निगरानी 



की जहां पर डॉक्टर द्वारा निर्देश दिए थे कि मरीजों को इलेक्ट्रोड सिर्फ दादी के इस्तेमाल से विभूषित से वापस लाने की कोशिश ना की जाए। जिसके परिणाम स्वरुप वैज्ञानिकों ने पाया कि 9 में से 8 मरीजों के दिमाग की कोशिकाएं मौत को टालने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने रुकने के बाद भी दिमाग। और थे और थे और थे और उनके काम करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है कि वह आवश्यक आयन से खुद को भर और अपने व वातावरण की। 


छोटे झटके छोटे झटके यानी छोटे झटके यानी कि शौक पैदा करने में सक्षम हो जाते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक विद्युत का संतुलन बनाए रखना एक लगातार किया जाने वाला जिसके लिए की कोशिकाएं बहते हुए खून का इस्तेमाल करती है और उसका ऑक्सीजन और रासायनिक ऊर्जा ले लेती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब शरीर मर जाता है तो दिमाग को खून का बंद हो जाता है 


तो उन संसाधनों को जमा करने की कोशिश करते हैं। एक साथ होता है इसलिए प्लीज डिप्रेशन कहते हैं इसके बाद की स्थिति पोलराइजेशन ऑफ डिफरेंट जलाती जिसे आम बोलचाल भाषा में सेलिब्रेट सुनामी कहते हैं इलेक्ट्रोकेमिकल बैल की वजह से दिमाग की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है जिससे बहुत खास मात्रा में थर्मल एनर्जी रिलीज होती है और फिर इंसान की मौत हो जाती है। जब इंसान की मौत एक क्षण भर का काम। काफी लंबा काफी लंबा काफी लंबा होता होता है पर दोस्तों वैज्ञानिकों का कहना है कि मौत 


जितनी जटिल आज है उतनी भविष्य में भी हो। यह जरूरी नहीं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बॉडी में परिवर्तन की शुरुआत होती है और मौत हो जाती है, लेकिन अपने आप में मौत का क्षण नहीं है क्योंकि डिपोलराइजेशन को ऊर्जा की आपूर्ति को बदलकर पलटा चालक इसे अमल में लाने के लिए अभी वैज्ञानिक काफी माथापच्ची ऑल टोटल अगर कहा जाए। दिमाग तो उसके दिमाग तो उसके दिमाग में में एक दो नहीं बल्कि कई तरह की चीजें होती है, लेकिन आने वाले समय तक होती रहेंगी। यह जरूरी नहीं, क्योंकि क्या पता टेक्नोलॉजी दुनिया एक इंसान की 


मौत को टाला जा सके, उसे पहले ही बचाया जा सके और जिस हिसाब से हम इंसान प्रगति कर रहे हैं, उसे देखते नहीं कहना गलत नहीं होगा कि वह दिन दूर नहीं है तो दोस्तों उम्मीद है। आपको समझ में आ गया होगा। मरने से पहले हमारा दिमाग और शरीर किस तरह से काम करता है बाकी के बारे में क्या कहना? 

No comments:
Write comment