दोस्तों में इंसान चांद पर तो पहुंच गए, लेकिन चांद से जुड़े ऐसे कई सारे सवाल है जो अभी तक हमारे पल्ले नहीं पड़ते। जैसे कि चांद पर जाते ही इंसान गूंगा। बहरा क्यों हो जाता है या फिर चंदामामा की उम्र ज्यादा है। यह धरती माता की और सबसे बड़ा। सवाल कि अगर चांद ना होता तो क्या धरती पर आती नहीं होती।
अगर चंद्रमा नहीं होगा तो क्या इंसान को नींद आना बंद हो जाएगी। हमें मालूम है। यह सवाल कभी ना कभी आपके मन को विचलित कर चिंता मत कीजिए
दोस्तों सबसे दोस्तों सबसे दोस्तों सबसे पहले पहले तो यह सवाल आता है कि हमारे चंदा मामा गणित जान का जन्म कैसे हुआ। आंचल में चांद का जन्म कब हुआ जब एक बैठक का हुआ ग्रह पृथ्वी से जाकर टकरा गया। दोनों की टक्कर से बहुत सारा मलबा निकला जो पहले तो धरती की कक्षा में घूमता रहा।
फिर धीरे-धीरे एक जगह पर इकट्ठा होने लगा। आप जब सारा मलबा एका पर इकट्ठा होकर एक बड़ा सा फ्रेंड बन गया। तब जाकर चंद्रमा का निर्माण हुआ। अब आप सोच रहे होंगे जब चंद्रमा पृथ्वी से टकरा करवाना है तो इनमें से कौन किसकी ज्यादा हुई तो दोस्तों से बात है। इस तरह हमारी पृथ्वी की उम्र ज्यादा पढ़ी हुई ना जहां चंद्रमा साडे चार अरब साल पुराना है और यह बात तब पता चली जब कुछ अंतरिक्ष यात्री धरती पर चांद के चट्टानों को लेकर आए थे और उसी की रिसर्च से पता चला कि चंद्रमा का निर्माण साडे चार अरब साल पहले हुआ था, लेकिन चंदा मामा की छोटा होने के बावजूद यहां का भी बड़ा होता है। दिन हमारे एक दिन हमारे यहां के 14 दिनों के 14 दिनों के बराबर है और रोवर जो
विक्रम लैंडर और रोवर chandrayaan-3 के जरिए चांद पर भेजे गए हैं, वह ज्यादा दिनों तक काम करेंगे जो सूरज की रोशनी नहीं 14 दिनों तक सौर ऊर्जा लेते रहेंगे और इस सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करके धरती पर इंफॉर्मेशन भेजते रहेंगे। 14 दिनों के बाद जब चांद पर अंधेरा होगा यानी कि रात होगी तब तक मिशन पूरा हो चुका होगा। अब सवाल यह भी बड़ा। है कि आखिर चंद्रमा क्या? और उसका क्या पोजीशन है, क्या उतारा है या ग्रह है तो दोस्तों चांदना ही रहना तारा बल्कि पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है जो
पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। तभी तो चांद दूर जरूर है, लेकिन पृथ्वी के साथ का कनेक्शन बना रहता है क्योंकि 213 चंद्र मानना होता तो रात में बिल्कुल अंधेरा होता ठीक वैसे ही जैसे अमावस की रात में अंधेरा अंधेरा होता और जो अमावस और पूर्णिमा सी है, उसका पूरा चक्कर खत्म हो जाता। चंद्रमा के बिना पृथ्वी ने 1 दिन से 6 से 12 घंटे का होता क्योंकि तब जुड़े की रोशनी डायरेक्ट पृथ्वी पर पड़ती चंद्रमा के ना होने से पृथ्वी पर समुद्री ज्वार भाटा का आकार बदल जाता। समुद्र की लहरें
चंद्रमा के ना होने से एक और उचित और अगर चंद्रमा सूर्य ग्रहण बिना क्योंकि जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आने वाला कोई होता ही नहीं वैसे इंटरेस्टिंग बात यह भी कि चांद के पास। सूट नहीं सूट नहीं सूट नहीं नहीं होता बल्कि वह तो सूरज की रोशनी फ्लैशलाइट लेकर पृथ्वी तक पहुंचाता है। चांद की तुलना में सूरज कई गुना ज्यादा चमकीला होता है।
ऐसे में तीन लाख 98110 पूर्णमासी के चंद्रमा और तीन लाख 98110 पूर्णमासी के चंद्रमा और जन्म ले ले तब भी वह रोशनी देने के मामले में सूरज के बराबरी नहीं कर पाएंगे। जान पर माइनस डिग्री टेंपरेचर होता है क्या चांद पर ग्रेविटी? हवा की हवा चलती की हवा चलती चलती है और यह बात पर आपने कई बार सुनी होगी कि चांद पर जाने के बाद आदमी जाता है तो 200 साल में चांद पर में चांद पर आवाज सुनाई
नहीं देती और इसका सबसे बड़ा कारण है। चांद पर वायुमंडल है कि नहीं वहां पर कोई आवाज नहीं सुनी जा सकती क्योंकि साउंड वेव्स ट्रेवल नहीं कर सकती। आप अपना मुंह चाहे जितना भी चलाते रहेंगे, लेकिन आपके मुंह से कोई भी आवाज बाहर नहीं निकल पाएगी। इसलिए कहा जाता है इंसान चांद पर गूंगा बहरा हो जाता है और चांद से देखा जाए तो आकाश बिल्कुल काला दिखाई देता है। वैसे चांद पर ग्रेविटी गुरुत्वाकर्षण तो है लेकिन धरती जितनी मजबूत
ग्रेविटी नहीं है, किसी चीज को था में रखें क्योंकि चंद्रमा का गुरूत्वाकर्षण के मुकाबले लगभग 6 गुना लगभग 6 गुना कम है। इसका सीधा सा मतलब है का वजन पृथ्वी पर 60 किलोग्राम है तो चल।
मात्र 10 किलोग्राम रह जाएगा यदि आपको बिल्कुल हल्का महसूस होगा। वैसे दोस्तों chandrayaan-3 ने चांद के साउथ फूल पर यानी दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा है और एक आप ही ज्यादा एक तरफ तो चांद हमें इतना सुंदर दिखाई देता है कि लोग इसको लेकर अपने प्रेमी प्रेमिकाओं को शायरियां लिखते हैं तो वहीं दूसरी तरफ चांद का दूसरा रूप भी है जिसमें चांद इतना काला और इतना ठंडा है। इंसान की एक पैकेट में
कुल्फी बन जाए। यही वजह है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर किसी भी देश ने अब तक लैंडिंग नहीं करवाई थी थी। लेकिन chandrayaan-3 यहां पर सॉफ्ट लैंडिंग लैंडिंग करके पूरी दुनिया के होश उड़ा दिए। नासा का कहना है कि चांद का दक्षिणी ध्रुव पहाड़ और गहरे गड्ढों से भरा पड़ा है। यहां पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिसकी जमीन पर सूरज की रोशनी नहीं
पहुंचती और कहा तो यह भी जाता है कि नहीं गड्ढों में पानी के भराव के रूप में जमा है क्योंकि वहां बहुत ठंड है। वैसे आप ही जान कर आश्चर्य में पड़ जाएंगे हम धरती से चांद का। पूरा नहीं देख सकते बल्कि हम उसका केवल 59 फ़ीसदी हिस्सा है। देख पाते हैं दोस्तों चांद कितना ज्यादा जरूरी और इंटरेस्टिंग है। यह तो आपको समझ में आ गया। लेकिन क्या यह इतना जरूरी है कि बिना पृथ्वीराज अभी तो जो विक्रम लैंडर और रोवर chandrayaan-3 के
जरिए चांद पर भेजे गए वह 14 दिनों तक काम करेंगे जो सूरज की रोशनी में 14 दिनों तक सौर ऊर्जा लेते रहेंगे और इस दौरान एनर्जी पर इंफॉर्मेशन भेज। या फिर या फिर चंदा या फिर चंदा मामा की उम्र ज्यादा है यह धरती माता की और सबसे बड़ा सवाल कि अगर चांद ना होता तो क्या धरती पर आती नहीं होती। अगर चंद्रमा नहीं होगा तो क्या इंसान को नींद आना बंद हो जाएगी। हमें मालूम है। यह सवाल कभी ना कभी आपके
मन को विचलित करते होंगे। पर चिंता मत कीजिए क्योंकि आज की वीडियो में बाय विशाल प्रजापति आपको चांद से जुड़ी एक से बढ़कर एक रोचक जानकारी देने वाला नाच वीडियो को छोड़ कर कहीं मत जाइएगा, लेकिन हां वीडियो शुरू करने से पहले एक छोटी सी रिक्वेस्ट यू के नीचे रेड क्लिक करके सब्सक्राइब बटन दिख रहा होगा। उस पर क्लिक करके सब्सक्राइब करने और साइड में बैल आइकॉन भी दिख रहा होगा। उस पर भी क्लिक कर ले ताकि आपको वीडियो मिले। सबसे पहले दोस्तों सबसे पहले तो यह सवाल ना बाबा का जन्म कैसे हुआ। आंचल में चांद का जन्म कब हुआ जब भटकता हुआ से जाकर टकरा गया। की टक्कर से बहुत सारा। कक्षा में कक्षा में कक्षा में में घूमता रहा फिर धीरे-धीरे एक जगह पर इकट्ठा होने लगा। आप जब सारा मलबा एक जगह पर इकट्ठा होकर एक बड़ा सा फ्रेंड बन गया तब जाकर चंद्रमा का निर्माण अब आप सोच रहे होंगे जब चंद्रमा पृथ्वी से टकरा कर बनाए। इनमें से कौन किसकी ज्यादा हुई तो दोस्तों से बात है। इस तरह हमारी पृथ्वी की उम्र ज्यादा बढ़ी हुई ना जहां चंद्रमा साडे चार अरब साल पुराना चली जब कुछ अंतरिक्ष यां। अति पर चांद के चट्टानों को लेकर आए थे और उसी के रिसर्च से पता चला कि चंद्रमा का निर्माण साडे चार अरब साल पहले हुआ था, लेकिन चंदा मामा के छोटा होने के बावजूद यहां पर दिन का भी बड़ा होता है। तभी तो चांद पर एक दिन हमारे यहां के 14 दिनों के बराबर है। तभी तो जो विक्रम लैंडर और रोवर chandrayaan-3 के जरिए चांद पर भेजे गए हैं, वह 14 दिनों तक काम करेंगे जो सूरज की रोशनी में 14 दिनों तक सौर ऊर्जा लेते रहेंगे और इस दुल्हन एनर्जी का इस्तेमाल करके धरती पर इंफॉर्मेशन भेजते रहेंगे। 14 दिनों के बाद जब चांद पर अंधेरा होगा यानी कि रात होगी तब तक मिशन मून पूरा हो चुका होगा। अब सवाल यह भी बड़ा। प्रचलित है कि आखिर चंद्रमा क्या है और उसका क्या पोजीशन है। क्या उतारा है या ग्रह चांद नाहिद रहना तारा बल्कि पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। तभी तो चांद दूर जरूर है लेकिन पृथ्वी के साथ काकन। बना रहता है क्योंकि दोस्तों अगर चंद्रमा ना होता तो रात में बिल्कुल अंधेरा होता ठीक वैसे ही जैसे अमावस की रात में अंधेरा होता है। उसे भी घना अंधेरा होता और जो अमावस और पूर्णिमा सी है उसका पूरा चक्कर खत्म हो जाता। चंद्रमा के बिना पृथ्वी में 1 दिन से 6 से 12 घंटे का युद्ध क्योंकि तब जुड़े की रोशनी डायरेक्ट पृथ्वी पर पड़ती चंद्रमा के ना होने से पृथ्वी पर समुद्री ज्वार भाटा का आकार बदल जाता। समुद्र की लहरें चंद्रमा। लगती। तो सूर्य ग्रहण तो सूर्य ग्रहण सूर्य ग्रहण भी ना होता क्योंकि तब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आने वाला कोई होता ही नहीं। वैसे एक इंटरेस्टिंग बात यह भी जान के पास अपनी लाइफ तो टूट नहीं होता बल्कि वह तो सूरज की रोशनी तैल लाइट लेकर पृथ्वी तक पहुंचाता है। जान की ऐसे में सूरज कई गुना ज्यादा चमकीला होता है। ऐसे में सूरज के बराबर रोड करने के लिए तीन लाख 98110 पूर्णमासी के चंद्रमा और जन्म ले ले। तब भी वो रोशनी देने के मामले में सूरज के बराबरी नहीं कर पाएंगे। जान पर माइनस डिग्री में टेंपरेचर होता है। चांदी ठंडा हो गया है अब सवाल यह भी है। क्या चांद पर जा बैठी है क्या किसी भी तरह की हवा चलती है और यह बात हुई आपने कई बार सुनी होगी कि चांद पर जाने है। आवाज सुनाई नहीं देती।
आप अपना मुंह चाहे जितना भी चलाते रहेंगे, लेकिन आपके मुंह से कोई भी आवाज बाहर नहीं निकल पाएगी। इसलिए कहा जाता है। इंसान चांद पर भैरव जाता है और जान से देखा जाए तो आकाश बिल्कुल काला दिखाई देता है। वैसे जान पर ग्रेविटी एनी गुरुत्वाकर्षण तो है लेकिन धरती जितनी मजबूत ग्रेविटी नहीं है, किसी चीज को था में रखें क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के मुकाबले लगभग 6 गुना कम है जिसका। इंसान का वजन इंसान का वजन का वजन पृथ्वी पर 60 किलोग्राम है तो चंद्रमा पर उसका वजन 10 किलोग्राम रह जाएगा। यदि आपको हल्का महसूस हो। Chandrayaan-3 ने चांद के साउथ साउथ पोल पर यानी दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा है और ही काफी ज्यादा रहस्य में
जगह है जहां एक तरफ तो चांद हमें इतना सुंदर दिखाई देता है कि लोग इसको लेकर अपने प्रेमी प्रेमिकाओं को शायरी लिखता है तो वहीं दूसरी तरफ चांद का दूसरा रूप भी है है इंसान के 1 सेकंड कितना ठंडा है। इंसान के 1 सेकंड में खुलती बन जाए। यही वजह है कि ग्रुप पर किसी भी देश ने अब तक लैंडिंग नहीं करवाई थी। लेकिन भारत ने चुनरिया वीडियो दरिया यहां पर सॉफ्ट लैंडिंग करके पूरी दुनिया के होश उड़ा दिए। नासा का कहना है कि चांद कादरी ग्रुप वालों और गहरे गड्ढों से भरा पड़ा है। यहां पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिसकी जमीन
पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती और कहा तो यह भी जाता है कि के भराव के रूप में। क्योंकि वहां पर ठंड है। वैसे आप ही जानकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि हम धरती से चांद का पूरा हिस्सा नहीं देख सकते बल्कि हम उसका केवल 59 फ़ीसदी हिस्सा एक बात है। दोस्तों जान कितना ज्यादा जरूरी और अंतरा सिंह है। यह तो आपको समझ में आ गया है। लेकिन क्या यह इतना जरूरी है।
किसके बिना पृथ्वी रहेगी तो दोस्तों जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो इस समय जवार भाटा का स्तर काफी बढ़ जाता है और समुद्र में ऊंची ऊंची लहरें उठने लगती है क्योंकि वह धारा। चंद्रमा पृथ्वी की ढूंढती को कम कर देता है। इसलिए हर शताब्दी में पृथ्वी डेड मिली सेकंड भी नहीं होती जा रही है। लेकिन कुछ भी कहो
आज जो पृथ्वी में हर चीज का बैलेंस बना हुआ है, उसके पीछे एक कारण चांद भी है जिसने दिन और रात के बीच परफेक्ट बैलेंस बना कर रखा है और इसी के सहारे पृथ्वी चल भी रही है। बाकी आप का चांद पर क्या विचार है? कमेंट में बताइए और इस वीडियो को देखकर रहने के लिए चैनल पर।
No comments:
Write comment