https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1234567890123456content='ca-pub-3462972881553934' name='google-adsense-account'/> हावड़ा ब्रिज 12 बीजे बन्द क्यों हो जाता है - Online Paise Kaise Kamaye

Saturday 13 January 2024

हावड़ा ब्रिज 12 बीजे बन्द क्यों हो जाता है

 दोस्तों के भारत में बनने वाली सबसे बेहतरीन चीजों की बात करें तो उनमें से एक है। कोलकाता में बना हावड़ा ब्रिज खूबसूरती देखते ही बनती है। पर इसका खूबसूरती के बारे में तो आपने बहुत बार सुना होगा। लेकिन क्या इसके पीछे की सच्चाई आपको मालूम है। क्या आपको इसका इतिहास पता है और क्या आप यह जानते हैं कि हावड़ा ब्रिज बनने से पहले क्या हालात है। 


अगर नहीं तो दोस्तों चिंता मत करो क्योंकि जब हम आपको हावड़ा ब्रिज की सच्चाई सुनाएंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे या दुनिया के सबसे लाजवाब ब्रिज में से इंजीनियरिंग की मिसाल के तौर पर पहचाने जाने वाले इस ब्रिज ने अपने अंदर कई सारे ऐसे राज छुपा रखे, जिसकी किसी ने कल्पना तो क्या है।

दोस्तों आज से करीब 80 साल पहले जब भारत साल पहले जब भारत आजाद नहीं हुआ था तो हावड़ा ब्रिज को बनाकर तैयार किया गया था जो कि दुनिया के सबसे बेहतरीन और महंगे बृजेश में से एक के तौर पर जाना जाता है। इस ब्रिज की सबसे बड़ी चमत्कार से कम नहीं है। जा ब्रिज को संभालने के लिए बीच में कोई भी संबंध नहीं बनाया गया है बल्कि साइड में दो फूल बने और उसी के सहारे पूरा ब्रिज खड़ा है। लेकिन 


इस ब्रिज को यूंही नहीं बनाया गया बल्कि शुरुआत होती है। 19वीं शताब्दी से यह वह दौर था जब भारत पर अंग्रेजों का राज हुआ करता था और उस वक्त देश में ब्रिटिश राज होने की वजह से पूरा देश अंग्रेज जलाते थे। इसके अंदर क्या हो रहा है। क्या नहीं हो रहा बीच में क्या बनना चाहिए। क्या 


नहीं बनना चाहिए। यह सब कुछ अंग्रेजों के हाथ में ही था। भारत के लोग अपने देश पर कोई भी हक नहीं रखते थे। ऐसे में हावड़ा और कोलकाता के बीच बहने वाली नदी बहुत ही ज्यादा हम थी क्योंकि दोनों ही जगह को जोड़ती थी और लोग बड़ी। आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आ जा सकते थे, पर उन्हें कहीं भी आने-जाने के लिए वोट का इस्तेमाल करना पड़ता 


था। जिस वजह से लोगों को काफी दिक्कत भी होती थी क्योंकि एक समय में बहुत कम लोग इधर उधर जा पाते थे। यही वजह थी कि अंग्रेज सर! कार ने नदी के ऊपर तैरने वाले पुल को बनाने की सूची असल में हुगली नदी के ऊपर चढ़ता हुआ पुल बनाने का कारण यह था कि हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाली यह नदी बहुत ही 

गहरी और चौड़ी वजह से नदी में बहुत से बड़े-बड़े जहाजों का आना जाना रहता था। अगर कोई बड़ा पुल बनाया जाता तो उसको मजबूती देने के लिए नदी के बीच में खंबे भी लगाए जाने होते पीस मिल पाए जिसकी वजह से बड़ी बड़ी जहाज तो जो इस नदी से होते हुए जाती है। कराता रुक जाता और यह चीज अंग्रेजों की सरकार कभी नहीं चाहती थी। वहां पर तैरने वाले पुल का निर्माण 


करने का विचार उनके मन में आया लेकिन विचार केवल विचार तक ही सीमित रह गया। हावड़ा ब्रिज एक्ट पास करने के बावजूद यहां पर तैरने वाले पुल को ठीक तरह से नहीं बनाया गया जिससे लोगों को आने जाने में आसानी हो और काफी लंबे समय बीत जाने के बाद 

सरकार ने यहां पर प्रॉपर तरीके से ब्रिज बनाने की सूची और उन्होंने हावड़ा ब्रिज एक्ट पास किया, लेकिन इस योजना को बनने में बहुत ज्यादा वक्त लगा और के बनने का काम साल 1935 में शुरू हुआ। उसके बाद ठीक कुछ सालों के इंतजार के बाद में तो 


42 में हावड़ा पुल बनकर तैयार हो गया। लेकिन तू तो आपको बता दें। हावड़ा ब्रिज बनने से पहले नदी के ऊपर एक प्यार था। वह पुल था जिसे बहुत ही मिनिमम बजट पर केवल टेंपरेरी बेस पर तैयार किया गया था। इसलिए बार-बार उसमें पानी भर जाता था जिसके कारण पुल में जाम लगा जाता था। इस जाम को देखते हुए उसी जगह पर एक बड़ा तैरने वाला पुल। लेकिन 


फिर लेकिन फिर लेकिन फिर फिर काफी लंबे समय बाद अंग्रेजों ने सोचा कि यहां पर एक प्रॉपर पुल बनना चाहिए। इस पुल को बनाने का काम सिर्फ ब्रिटिश कंपनी को सौंपा गया था। उसे यह कहा गया कि भारत में बनने वाले स्पीकर तमाल करें। ना ही किसी बाहर के देश का और यह वजह की हावड़ा ब्रिज में इस्तेमाल की जाने वाले 


वाले स्कूल का लगभग टाटा स्टील ने प्रोवाइड करवाया था और बता दे इसकी स्थित कारखानों में किया गया। बनाने ब्रिज को बनाने में कुल 26500 टन स्टील की खपत हुई जिसके साथ जसप्रीत को बनाने के लिए 19 में दशा कि उस वक्त। थे तब थे तब थे तब तब भाई करोड रुपए में बनवाया गया और सालों की मेहनत और इतना पैसा खर्च 

करने के बाद तैयार हुआ। हावड़ा ब्रिज कोलकाता और हावड़ा को आपस में जोड़ने का आपको बता दें 5 बता दें। 5 मीटर लंबा और 71 मीटर चौड़ी लोगों के लिए दिया गया 1942 में पुल के निर्माण के बाद पूरे 1 साल तक फुल को फुल को चेकिंग के लिए रखा गया था ताकि अच्छा किया जा सके। 


कहीं पुल में कोई गड़बड़ी तो नहीं है लेकिन जब वे ब्रिज की पूरी जांच-पड़ताल हो गई गई इसे 1946 में आम जनता के के उपयोग के लिए खोल दिया गया। पर हैरानी वाली बात तो यह है कि हावड़ा ब्रिज का उद्घाटन नहीं हुआ था। उस वक्त दूसरा विश्व युद्ध चल 


रहा था जिसमें कई सारे लोगों की मौत हो गई थी। अंग्रेजों की सरकार मुश्किल वक्त में उद्घाटन करके किसी भी तरह का जश्न नहीं मनाना चाहती थी कि प्लेस ब्रिज को शानदार ब्रिज को ऐसे ही खोल दिया गया। भारत का यह शानदार ब्रिज जो बंद कर। हावड़ा यू हावड़ा यू हावड़ा ब्रिज हावड़ा ब्रिज उसके बाद 14 जून 1965 में इसका 


नाम बदलकर रवींद्र सेतु कर दिया गया। लेकिन फिर भी आज लोग इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से जानते हैं और इसमें कहने वाली बात है कि कोलकाता और आगरा को जोड़ने वाला इस तरह का शानदार पुल पूरी दुनिया में केवल गिनी चुनी जगहों पर ही है जो कि इंजीनियरिंग का वाकई में अद्भुत उदाहरण है जिसे देखकर आंखें भर से नहीं नहीं है। रात में 10:00 का नजारा और भी खूबसूरत है। 


इसलिए अगर आप कब? कोलकाता घूमने जाए तो एक बार ही सही, लेकिन हावड़ा ब्रिज के दर्शन जरूर करना सच में आपका दिल खुश हो जाएगा और हम यही सलाह देंगे कि आप इस ब्रिज पर शाम के वक्त जाइएगा। जाम को दिन की रात साथ अंधेरे में जगमगाते पुल दोनों का ही नजारा देखने को मिलेगा तो दोस्तों यह था कोलकाता का हावड़ा ब्रिज और उससे जुड़ी अहम जानकारी जिसके बारे 

No comments:
Write comment